6 दिसंबर 2018

कौन थे कंस के द्वारा मारे गए देवकी के 6 शिशु, नहीं तो जरूर जाने

क्या आप जानते है; कौन थे कंस के द्वारा मारे गए देवकी के 6 शिशु, नहीं तो जरूर जाने

श्री कृष्ण की कहानि krishna story in hindi 02 mahabharat by ramanand sagar



भारतीय पौराणिक कथा
-पुराणिक कथाएं गवाह है जब भी धरती पर अधर्म बड़ा है तो उसके खात्मे के लिए भगवान (Bhagwaan) ने अवतार लिया है।

-भगवान श्री कृष्ण(Krishna) वह महानायक है, जिसने पूरी दुनिया को अधर्म और अन्याय के खिलाफ खड़े होना सिखाया ।

-आज हम आपको बता रहें है उन 6 शिशु के बारे में जिनकी कान्हा(Kanha) के जन्म से पहले ह्त्या कर दी गई थी ।

-द्वापर का समय था ।
उस समय मथुरा(Mathura) का राज्य कंस(Kans) के हाथों में था ।

-कंस(Kans) निरंकुश व पाषाण ह्रदय नरेश था ।

-वैसे तो वह अपनी बहन देवकी(Devki) से बहुत प्यार करता था पर जबसे उसे मालूम हुआ था कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा ।


-तभी से उसने उसे काल कोठरी में डाल रखा था ।

-इसी लिए किसी भी तरह का खतरा मोल न लेने की इच्छा के कारण कंस ने देवकी(Devki) के पहले 6 शिशु की भी ह्त्या कर दी।

कौन थे वे 6 शिशु
-ब्रह्मलोक में स्मर, उद्रीथ, परिश्वंग, पतंग, क्षुद्र्मृत व घ्रिणी नाम के छह देवता हुआ करते थे ।
देवकी के 6 शिशु
-ये ब्रह्माजी(Brahma) के कृपा पात्र थे ।

-इन पर ब्रह्मा(Brahma) जी की कृपा और स्नेह दृष्टि सदा बनी रहती थी ।

-वे इन छहों की छोटी-मोटी बातों और गलतियों पर ध्यान न दे उन्हें नज़रंदाज़ कर देते थे।

-इसी कारण उन छहों में धीरे-धीरे अपनी सफलता के कारण घमंड पनपने लग गया ।

-ये अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझने लग गए ।

-ऐसे में ही एक दिन इन्होंने बात-बात में ब्रह्माजी(Brahma) का भी अनादर कर दिया।

-इससे ब्रह्माजी(Brahma) ने क्रोधित हो इन्हें श्राप दे दिया कि तुम लोग पृथ्वी पर दैत्य वंश में जन्म लो ।

-इससे उन छहों की अक्ल ठिकाने आ गयी और वे बार-बार ब्रह्माजी(Brahma) से क्षमा याचना करने लगे ।
कृष्ण जन्म
-ब्रह्मा जी को भी इन पर दया आ गयी और उन्होंने कहा कि जन्म तो तुम्हें दैत्य वंश में लेना ही पडेगा पर तुम्हारा पूर्व ज्ञान बना रहेगा ।

हिंदी धार्मिक कहानियाँ (RELIGIOUS STORIES IN HINDI )
-समयानुसार उन छहों ने राक्षसराज हिरण्यकश्यप के घर जन्म लिया ।

-उस जन्म में उन्होंने पूर्व जन्म का ज्ञान होने के कारण कोई गलत काम नहीं किया ।

-सारा समय उन्होंने ब्रह्माजी(Brahma) की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करने में ही बिताया ।

-जिससे प्रसन्न हो ब्रह्माजी(Brahma) ने उनसे वरदान माँगने को कहा ।
-दैत्य योनि के प्रभाव से उन्होंने वैसा ही वर माँगा कि हमारी मौत न देवताओं के हाथों हो, न गन्धर्वों के, न ही हम हारी-बीमारी से मरें ! ब्रह्माजी(Brahma) तथास्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गए ।
-इधर हिरण्यकश्यप अपने पुत्रों से देवताओं की उपासना करने के कारण नाराज था ।

-उसने इस बात के मालुम होते ही उन छहों को श्राप दे डाला की तुम्हारी मौत देवता या गंधर्व के हाथों नहीं एक दैत्य के हाथों ही होगी ।
इसी शाप के वशीभूत उन्होंने देवकी के गर्भ से जन्म लिया और कंस(Kans) के हाथों मारे गए और सुतल लोक में जगह    पायी ।

-कंस(Kans) वध के पश्चात जब श्रीकृष्ण(Krishna) माँ देवकी(Devki) के पास गए ।


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-माँ ने उन 6 शिशु को देखने की इच्छा प्रभु से की जिनको जन्मते ही मार डाला गया था ।

-प्रभु ने सुतल लोक से उन 6 शिशु को लाकर माँ की इच्छा पूरी की ।

-प्रभु के सानिध्य और कृपा से वे फिर देवलोक में स्थान पा गए ।

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