29 जनवरी 2019

कृष्ण द्वारा जरासंध का वध || शिशुपाल का वध || mahabharat || by ramanand sagar || shree krishna leela


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शिशुपाल वध || SHISHUPAL VADH -KRISHNA LEELA



शिशुपाल का वध : एक बार की बात है कि जरासंघ का वध करने के बाद श्रीकृष्ण, अर्जुन और भीम इन्द्रप्रस्थ लौट आए, तब धर्मराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ की तैयारी करवा दी। उस यज्ञ के ऋतिज आचार्य होते थे।
यज्ञ में युधिष्ठिर ने भगवान वेद व्यास, भारद्वाज, सुनत्तु, गौतम, असित, वशिष्ठ, च्यवन, कण्डव, मैत्रेय, कवष, जित, विश्वामित्र, वामदेव, सुमति, जैमिन, क्रतु, पैल, पाराशर, गर्ग, वैशम्पायन, अथर्वा, कश्यप, धौम्य, परशुराम, शुक्राचार्य, आसुरि, वीतहोत्र, मधुद्वंदा, वीरसेन, अकृतब्रण आदि सभी को आमंत्रित किया। इसके अलावा सभी देशों के राजाधिराज को भी बुलाया गया। यज्ञ पूजा के बाद यज्ञ की शुरुआत के लिए समस्त सभासदों में इस विषय पर विचार होने लगा कि सबसे पहले किस देवता की पूजा की जाए? तब सहदेवजी उठकर बोले- श्रीकष्ण ही सभी के देव हैं जिन्हें ब्रह्मा और शंकर भी पूजते हैं, उन्हीं को सबसे पहले पूजा जाए। पांडु पुत्र सहदेव के वचन सुनकर सभी ने उनके कथन की प्रशंसा की। भीष्म पितामह ने स्वयं अनुमोदन करते हुए सहदेव का समर्थन किया। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने शास्त्रोक्त विधि से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन आरंभ किया। इस कार्य से चेदिराज शिशुपाल अपने आसन से उठ खड़ा हुआ और बोला, 'हे सभासदों! मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कालवश सभी की मति मारी गई है। क्या इस बालक सहदेव से अधिक बुद्धिमान व्यक्ति इस सभा में नहीं है, जो इस बालक की हां में हां मिलाकर अयोग्य व्यक्ति की पूजा स्वीकार कर ली गई है? क्या इस कृष्ण से आयु, बल तथा बुद्धि में और कोई भी बड़ा नहीं है? क्या इस गाय चराने वाल ग्वाले के समान कोई और यहां नहीं है? क्या कौआ हविश्यान्न ले सकता है? क्या गीदड़ सिंह का भाग प्राप्त कर सकता है? न इसका कोई कुल है, न जाति, न ही इसका कोई वर्ण है। राजा ययाति के शाप के कारण राजवंशियों ने इस यदुवंश को वैसे ही बहिष्कृत कर रखा है। यह जरासंघ के डर से मथुरा त्यागकर समुद्र में जा छिपा था। भला यह किस प्रकार अग्रपूजा पाने का अधिकारी है?' इस प्रकार शिशुपाल श्रीकृष्ण को अपमानित कर गाली देने लगा। यह सुनकर शिशुपाल को मार डालने के लिए पांडव, मत्स्य, केकय और सृचयवर्षा नरपति क्रोधित होकर हाथों में हथियार ले उठ खड़े हुए, किंतु श्रीकृष्ण ने उन सभी को रोक दिया। वहां वाद-विवाद होने लगा, परंतु शिशुपाल को इससे कोई घबराहट न हुई। कृष्ण ने सभी को शांत कर यज्ञ कार्य शुरू करने को कहा। किंतु शिशुपाल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने फिर से श्रीकृष्ण को ललकारते हुए गाली दी, तब श्रीकृष्ण ने गरजते हुए कहा, 'बस शिशुपाल! मैंने तेरे एक सौ अपशब्दों को क्षमा करने की प्रतिज्ञा की थी इसीलिए अब तक तेरे प्राण बचे रहे। अब तक सौ पूरे हो चुके हैं। अभी भी तुम खुद को बचा सकने में सक्षम हो। शांत होकर यहां से चले जाओ या चुप बैठ जाएं, इसी में तुम्हारी भलाई है।' लेकिन शिशुपाल पर श्रीकृष्ण की चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ अतः उसने काल के वश होकर अपनी तलवार निकालते हुए श्रीकृष्ण को फिर से गाली दी। शिशुपाल के मुख से अपशब्द के निकलते ही श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र चला दिया और पलक झपकते ही शिशुपाल का सिर कटकर गिर गया। उसके शरीर से एक ज्योति निकलकर भगवान श्रीकृष्ण के भीतर समा गई। कृष्ण द्वारा जरासंध का वध || शिशुपाल का वध || mahabharat || by ramanand sagar || shree krishna leela

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