1 दिसंबर 2018

अर्जुन

अर्जुन

महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे।

महाराज पाण्डु की दो पत्नियाँ थी कुन्ती तथा माद्री।पाण्डु नाम उनका उनके रोग पांडु के कारण था। मुनि दुर्वासा के वरदान द्वारा धर्मराज, वायुदेव तथा इंद्र का आवाहन कर तीन पुत्र माँगे। इंद्र द्वारा अर्जुन का जन्म हुआ

द्रौपदी, कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव।

कर्ण और अर्जुन के पिछले जन्म की कथा




कर्ण और अर्जुन के पिछले जन्म की कथा का वर्णन पद्म पुराण मे अता है एक बार भगवान ब्रह्मा और महादेव के बिच युद्ध होता है, महादेव ब्रह्माजी के पांचवें सर को काट देते है। क्रोधित ब्रह्मदेव के शरीर से पसिना निकलता है। और पसीने से एक वीर योद्धा उत्पन्न होता है। जो स्वेद से जन्मा इसलिए स्वेदजा के नाम से जाना जाता है। स्वेदजा पिता ब्रह्मा के आदेश से महादेव से युद्ध करने जाता है। महादेव भगवान विष्णु के पास क्रोधित ब्रह्मा द्वारा जन्म लेने वाले स्वेदजा का कुछ उपाय बताने को कहते हैं। भगवान विष्णु अपने रकत से एक वीर को जन्म ‌देते है। रक्त से जन्मा इसलिए उसे रक्तजा के नाम से जाना जाता है। स्वेदजा 1000 कवच के साथ जन्मा था और रकतजा 1000 हाथ और 500 धनुष के साथ । भगवान ब्रह्मा भी विष्णु से हाय उत्पन्न हुज थे इसलिए स्वेदजा भी भगवान विष्णु का अंशा था। स्वेदजा और रुक्तजा में भायंकर युद्ध होता हे। स्वेदजा रक्तजा के 998 हाथ कट देता है और 499 धनुष तोड़ देता हे। वही रक्तजा स्वेदजा के 999 कवच तोड़ देता है। रक्तजा बस हारने ही वाला होता है। भगवान विष्णु समज जाते हैं की‌ रक्तजा से हार जाएगा। इसलिए वे उस युद्ध को शांत करवाते हैं। स्वेदजा दानवीरता दिखाते हुए रक्तजा को जिवनदान देता है। भगवान विष्णु ‌स्वेदजा की जवाबदेही सुर्यनारायण को सोंपते है, और रक्तजा की‌ इंद्रदेव को। वह इंद्रदेव को वचन देते है की अगले जन्म में ‌रक्तजा अपने प्रतिद्वंद्वी स्वेदजा का वध अवश्य करेगा। द्वापर युग में ‌रक्तजा अर्जून और संवेदना कर्ण के रुप में जन्म लेते हैं। और अर्जून अपने सबसे महान प्रतिद्वंद्वी कर्ण‌की युद्ध के नियमों के विरुद्ध हत्या करते हैं।

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