7 नवंबर 2017

shree Krishna protects Draupadi honor. (द्रौपदी चीरहरण) bhim sworn. ramanand sagar mahabharat

shree Krishna protects Draupadi honor. (द्रौपदी चीरहरण) bhim sworn. ramanand sagar mahabharat.


 श्री कृष्ण अपनी बहन ने द्रौपदी की सम्मान की रक्षा. भीमने शपथ ली(bhim sworn) द्रौपदी चीरहरण अनेक घटनाओं से दुर्योधन चिढ़ गया थां अत: हस्तिनापुर जाते हुए उसने मामा शकुनि के साथ पांडवों को हराकर उनका वैभव हस्तगत करने की एक युक्ति सोचीं शकुनि द्यूतक्रीड़ा में निपुण था-युधिष्ठिर को शौक अवश्य था किंतु खेलना नहीं आता था। अत उन सबने मिलकर धृतराष्ट्र को मना लिया। विदुर के विरोध करने पर भी धृतराष्ट्र ने उसी को इन्द्रप्रस्थ जाकर युधिष्ठिर को आमन्त्रित करने के लिए कहा, साथ ही यह भी कहा कि वह पांडवों को उनकी योजना के विषय में कुछ न बताये। विदुर उनका संदेश लेकर पांडवों को आमन्त्रित कर आये। पांडवों के हस्तिनापुर में पहुंचने पर विदुर ने उनको एकांत में संपूर्ण योजना से अवगत कर दिया तथापि युधिष्ठिर ने चुनौती स्वीकार कर ली तथा द्यूतक्रीड़ा में वे व्यक्तिगत समस्त दाव हारने के बाद भाइयों को, स्वयं अपने को तथा अंत में द्रौपदी को भी हार बैठे। विदुर ने कहा कि अपने-अपको दांव पर हारने के बाद युधिष्ठिर द्रौपदी को दांव पर लगाने के अधिकारी नहीं रह जाते, किंतु धृतराष्ट्र ने प्रतिकामी नामक सेवक को द्रौपदी को वहां ले आने के लिए भेजा। द्रौपदी ने उससे यही प्रश्न किया कि धर्मपुत्र ने पहले कौन सा दांव हारा है- स्वयं अपना अथवा द्रौपदी का। दुर्योंधन ने क्रुद्ध होकर दु:शासन (भाई) से कहा कि वह द्रौपदी को सभाभवन में लेकर आये। युधिष्ठिर ने गुप्त रूप से एक विश्वस्त सेवक को द्रौपदी के पास भेजा कि यद्यपि वह रजस्वला है तथा एक वस्त्र में है, वह वैसी ही उठ कर चली आये, सभा में पूज्य वर्ग के सामने उसका उस दशा में कलपते हुए पहुंचना दुर्योधन आदि के पापों को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त होगा। द्रौपदी सभा में पहुंची तो दु:शासन ने उसे स्त्री वर्ग की ओर नहीं जाने दिया तथा उसके बाल खींचकर कहा- 'हमने तुझे जुए में जीता है। अत: तुझे अपनी दासियों में रखेंगे।' द्रौपदी ने समस्त कुरुवंशियों के शौर्य, धर्म तथा नीति को ललकारा और श्रीकृष्ण को मन-ही-मन स्मरण कर अपनी लज्जा की रक्षा के लिए प्रार्थना की। सब मौन रहे किंतु दुर्योधन के छोटे भाई विकर्ण ने द्रौपदी का पक्ष लेते हुए कहा कि हारा हुआ युधिष्ठिर उसे दांव पर नहीं रख सकता था किंतु किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। कर्ण के उकसाने हमारी अन्य हिंदी विडियो पर भी आप अपनी शुभ नजर डाले

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